King Shivaji’s Fort Comes to America

घर के सामने लगभग पूरी तरह से तैयार किला

महाराष्ट्र के बच्चे—और अब कैलीफ़ोर्निया के भी—दिवाली के समय सैकड़ों साल पहले महान योद्धा की विजय के सम्मान में मिट्टी के किले बनाते हैं

द्वारा संजीवनी डेज़ १२, कैलीफ़ोर्निया

अगर आप कभी भी दीपावली के समय महाराष्ट्र जायें, तो आपको त्यौहार मनाने के एक हिस्से के तौर पर अद्भुत परम्परा पायेंगे: गलियों में दीवारों से लगाकर सामने और आँगन में बच्चे मिट्टी के किले बनाते हैं। भारत में २,००० साल पहले भारत में वास्तविक किले हुआ करते थे और वे साम्राज्यों और राज्यों के निर्माण के केन्द्रीय भाग होते थे। हालांकि, ऐसा कहा जाता है कि दीपावली पर मिट्टी के छोटे किले बनाने की परम्परा ३५० साल पहले एक साहसी और शक्तिशाली राजा के द्वारा शुरु की गयी जिसका नाम था छत्रपति शिवाजी महाराज।

A messier part of the operation

Refinements under way

काम के दौरान थोड़ी गन्दगी भी होती है

सुधार का काम चल रहा है

शिवाजी ने क्षेत्र में लगभग ३०० वर्षों के इस्लामिक राज्य की लहर को मोड़ दिया जिसे हिन्दू अपना राज्य कह सकते थे। अपनी किशोरावस्था के शुरुआती दिनों में, ऐसा कहा जाता है कि शिवाजी महाराज कीचड़ या मिट्टी के किलों के मॉडल बनाते थे ताकि वह और उनके सैनिक उनका अध्ययन कर सकें और युद्ध के लिये तैयार हो सकें। इससे, ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दौरान किले बनाने की प्रथा शुरु हुई।

महाराष्ट्र में, किले का निर्माण आमतौर पर शिवाजी की प्रसिद्ध लड़ाइयों के इर्द-गिर्द केन्द्रित होता है। लेकिन हमारे किले में, हम बहुत से महत्वपूर्ण चरित्रों, घटनाओं और भौगोलिक विशेषताओं को उभारना चाहते हैं जो सकारात्मक तौर पर हिन्दू सभ्यता को दिखा सकें। इसमें राणा प्रताप जैसे लोग शामिल थे, जो कि मेवाड़ के एक बहादुर राजा थे, और ऋषि गार्गी, जो कि एक प्रसिद्ध महिला दार्शनिक और न्यायाधीश थीं। इसमें — नालन्दा विश्वविद्यालय, मोहनजोदड़ो और अंकोरवाट जैसी जगहें शामिल हैं। मेरा परिवार और मैं, साथ ही मेरे दोस्त—जिनमें से केवल दो महाराष्ट्र के हैं—कैलीफ़ोर्निया में दो सालों से मिट्टी के किले बना रहे हैं।

सबसे नया किला हमने कोविड के पहले २०१९ में बनाया था। उस साल, कुछ करने से पहले, मैंने दोस्तों के एक समूह से सम्पर्क किया, जिनके बारे में मुझे लगता था कि वे किला बनाने में रुचि लेंगे। हमने इसे अपने गैराज के सामने बनाने का चुनाव किया और सप्ताहांत में इस पर काम किया।

जब हम पहले सप्ताह मिले, हमने समूह बनाये और और अपने विचारों के आधार पर रेखाचित्र बनाये कि हमारी सोच के हिसाब से हमारा किला कैसा दिखना चाहिए। आमतौर से, लोग भारत में मौजूद किलों के आधार पर अपना किला बनाते हैं, लेकिन हम अपना ख़ुद का काल्पनिक किला बनाना चाहते थे और उन विभिन्न विशेषताओं को उसमें शामिल करना चाहते थे जो कि हमने अन्य किलों में देखा था, जैसे तोपें, मन्दिर और गुफ़ाएँ। एक बार जब सबने काम पूरा कर लिया, हमने अपने विचार प्रस्तुत किये, और फिर हमने उन्हें किले की एक बड़ी योजना में मिला दिया और उन सभी चीज़ों की एक सूची बनायी, जिनकी हमें आवश्यकता थी।

Detail of Jiva Mahale

Some modern touches

जीवा महल का विवरण

कुछ आधुनिक स्पर्श

ज़्यादातर घर के बने किले हमारे किले से छोटे होते हैं, और उनमें अन्दर डिब्बों और ईंटों की बनी संरचना की आवश्यकता नहीं होती हैं, और पूरी तरह मिट्टी से बनाये जा सकते हैं। लेकिन हमारा किला थोड़ा बड़ा था, इसलिए दूसरे सप्ताह से, जब हम ज़्यादातर सामग्री जुटा चुके थे, हमने अपने किले का आधार चट्टानों, टाइल्स, ऊपर-नीचे वाले डिब्बों, ईंटों और बाल्टियों से तैयार करना शुरु किया। एक बार जब हम सन्तुष्ट हो गये, हमने इसे एक बड़े, पुराने कपड़े से ढँक दिया।

तीसरे और चौथे सप्ताह, हमने कपड़े को अपने हाथ से मोटी मिट्टी से ढँकना शुरु किया और किले पर कुछ बीज छिड़क दिये जो बाद में अंकुरित होकर इसे जंगल जैसा दृश्य प्रदान करेंगे। हमें अपनी पाइप से हर दूसरे दिन बीजों पर पानी छिड़कना होता था। उस समय, कभी-कभी बारिश होती थी, इसलिए किले को बचाने के लिए, हमने किले के ऊपर एक बड़ी कैनोपी लगा दी।

पाँचवे सप्ताह से, मिट्टी कठोर होने लगी और बीज अंकुरित हो गये थे और एक बढ़िया छोटे-जंगल में बदल गये थे। छठें सप्ताह, हमने छोटी प्रतिमाओं और जगहों केलिए किले पर लेबल लगाये, साथ ही सामने एक बड़ा निशान बनाया जो कि परम्परा को बताती था।

एक बार जब किला पूरा हो गया, मेरे हर दोस्त ने किले में मौज़ूद किसी ऐतिहासिक चरित्र, संरचना या घटना के बारे में बताने के लिए कहानी तैयार की। उदाहरण के लिए, एक ने तानाजी मालुसरे की कहानी बतायी जो शिवाजी की सेना के एक सेनापति थे, और दूसरे ने अफ़जल खान की मृत्यु का किस्सा सुनाया, जो कि एक बुरा सेनापति था जिसने हिन्दू मन्दिरों को नष्ट किया और शिवाजी को मारने का प्रयास किया। किसी दिन कोई राहगीर रुकता, किले को देखता, प्रश्न पूछता और मेरे और मेरे भाई-बहनों द्वारा बतायी गयी कहानी को सुनता। किसी अन्य दिन, ३०-४० अतिथि, बच्चे और परिवार एकत्र होते।

“अमेरिका में दीपावली की परम्परा के एक हिस्से के रूप में यह शानदार किला शिवाजी महाराज और उनके हिन्दू स्वराज्य के विचार, जो कि हिन्दुओं के अपने शासन की एक अवधारणा है, को श्रद्धांजलि देता है।,” किले को देखने के बाद करन रासकर ने कहा।

Unpacking the figurines from India

Real vegetation adds to the impact

भारत से आयी हुई प्रतिमाओं को बाहर लाते हुए

असली वनस्पतियाँ प्रभाव में वृद्धि कर देती हैं

इस समय, मेरी बहन गार्गी और उसकी पूरी कक्षा एक क्षेत्रीय भ्रमण के लिये पुस्तकालय जा रही थी। जब मेरे पिता ने यह सुना, उन्होंने उसके शिक्षक को सुझाव दिया, कि चूंकि हमारा घर स्कूल के बहुत निकट है (असल में बस सात घर बाद), और यह पुस्तकालय के रास्ते में ही है, उन्हें हमारे घर के सामने रुकना चाहिए और आगे बढ़ने से पहले किले को देखना चाहिए। एक बार जब वे आ गये, वे बहुत उत्साहित और उत्सुक थे। गार्गी ने हिरकानी की कहानी सुनायी, वह एक वीर माता थी जो अपने बच्चे के लिए किले पर चढ़ गयीं।

किला बनाने के पूरे अनुभव के दौरान मैंने तीन मुख्य बातें सीखीं। पहली चीज़ थी टीमवर्क, मैंने सहयोग करने और दूसरों के विचारों को सुनना सीखा। दूसरा था योजना बनाना और प्रबन्धन करना, क्योंकि मैंने दिमाग को झकझोर दिया और किले के लिए सबसे अच्छी बनावट, सबसे अच्छी सामग्री, उन्हें कहाँ से प्राप्त करें और हर सप्ताह उन्हें पूरा करने के लिए हमें क्या आवश्यकता होगी, इसका निर्णय करने में सहयोग किया। तीसरा, मैंने बहुत से ऐतिहासिक चरित्रों और घटनाओं की कहानी जानी, और मैने सीखा कि अपने स्रोताओं को जोड़े रखने और उनकी उत्सुकता बनाये रखने के लिए कहानी को रोमांच और रहस्य के साथ कैसे सुनायें। मैं दीपावली का त्यौहार मनाते समय अपनी रचनात्मक दक्षता को लागू कर पाने पर बहुत प्रसन्न थी, और मैं उस समृद्ध परम्परा का हिस्सा बनकर और दूसरों को इस अद्भुत परम्परा के बारे में बताकर बहुत रोमांचित थी जो कि पीढ़ियों से चली आ रही है। और, बेशक, मैं अगली दीपावली के बारे में सोच रही हूँ—और एक बड़े किले, कोविड-१९ पर जीत की आशा में हूँ!


संजीवनी डेज़ सांता क्लारा, कैलीफ़ोर्निया में पैदा हुईं और अब सैन जोस में रहती हैं। अभी डारमाउथ मिडिल स्कूल में ८वीं कक्षा की छात्रा है, वह नृत्य, तैराकी और पढ़ना पसन्द करती हैं। sanjeevanisdedge@gmail.com