Digital Dharma
डॉक्यूमेंट्री
संस्कृत की कहानी
रत्नवती शिवलिंगम-चन्द्रसेगरन, मलेशिया
अनुमान लगाइये कि इन संस्कृत शब्दों में से कितनों का मूल संस्कृत भाषा में है: “सात राजसी गायें मधुर मिथकों को आवाज़ देती हैं, जिससे अनाम, प्रेमपूर्ण मुस्कान उत्पन्न करती हैं। (Seven royal cows voice sweet myths, creating anonymous, loving smiles.)”
उत्तर है: वे सभी! आप आश्चर्यचकित हैं? यदि हैं तो इसे समझा जा सकता है। वास्तव में, संस्कृत से निकलने वाले शब्दों को लगभग १,७०० भाषाओं के शब्द भण्डार में पाया जा सकता है, जिसमें भारतीय उपमहाद्वीप की भाषाएँ, ग्रीक, लैटिन, फ़ारसी, लिथुआनियाई, बाल्टिक और अंग्रेज़ी भाषाएँ शामिल हैं। बहुत से व्यक्ति संस्कृत को बस एक प्राचीन भाषा समझते हैं जिसे आमतौर पर वैदिक हिन्दू कर्मकाण्डों और हिन्दू ग्रन्थों में प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि संस्कृत—जिसके अनुवाद है “संस्कार की गयी” भाषा—की वैयाकरणिक जटिलताओं का आधार गणित में हैं, और यहाँ तक कि इसमें आधुनिक कम्प्यूटर विज्ञान के भी कुछ समानान्तर तत्व मौजूद हैं?
“संस्कृत की अनकही कहानी” प्रोजेक्ट शिवोहम् यूट्यूब चैनल द्वारा प्रस्तुत एक संक्षिप्त और सूक्ष्मता से तैयार की गयी डॉक्यूमेंट्री है। यह लघु डॉक्यूमेंट्री चैनल भारत की महान लेकिन भूली जा चुकी विरासत के संरक्षण पर केन्द्रित है, जो आम मिथकों का सच बताता है और उनकी विरासत को दर्शकों के सामने यथासम्भव प्रमाणिकता के साथ ले आता है। चैनल अपने दावों के लिए सबूत पेश करने हेतु प्राचीन ग्रन्थों पर सघन शोध को बहुत अधिक महत्व देता है।
मैंने हमेशा जाना है कि संस्कृत एक प्राचीन भाषा है और कि इसने दूसरी भाषाओं के शब्दकोश में बहुत योगदान दिया है। लेकिन मैं अपरिचित था कि संस्कृत किस सीमा तक दूसरे क्षेत्रों में लागू होती है। एक आकर्षित करने वाली दृश्य कालक्रम, एक ऊपर उठाने वाले पृष्ठभूमि और अच्छे वर्णन के माध्यम से हम एक यात्रा पर चलते हैं जो संस्कृत के मूल से और इसके वैश्विक से होकर गुजरती है।
डॉक्यूमेंट्री, जो भगवान नटराज की एक शक्तिशाली छवि के साथ शुरु होती है, तीन भागों में है: भाषा का इतिहास, गणना की दुनिया के साथ इसका सम्बन्ध और संस्कृत सीखने का कारण।
डॉक्यूमेंट्री फ़िर हमें अतीत में संस्कृत के उद्गम और इसके विभाजित होने और विश्व के उपमहाद्वीपों में इसके विकास की ओर ले जाती है। आधुनिक इतिहास, अकादमिक लेखों और प्रकाशनों से सन्दर्भ लेते हुए, वर्णन करने वाले अन्य प्राचीन संस्कृतियों पर संस्कृत के भाषाई और सांस्कृतिक, दोनों पहलुओं पर प्रभाव के बारे में बताते हैं। साथ ही हमें संस्कृत के प्रारम्भिक जानकारों की बुद्धिमत्ता के बारे में भी पता चलता है, जिसकी शुरुआत महर्षि पाणिनी से होती है। जिनका वैयाकरणिक प्रबन्ध अष्टाध्यायी, भाषाविज्ञान पर अभी तक ज्ञात सबसे प्राचीन और सर्वाधिक व्यापक कार्य माना जाता है। अष्टाध्यायी का आधार शिव सूत्र हैं—ऋषि नन्दनाथ के १४ सिद्धान्त जो मानव वाणी के आधार बनते हैं, जिसे वाचक बताता है, जो सभी ज्ञात भारतीय भाषाओं में आगे बढ़ती है। हमें अन्य संस्कृत विद्वानों के बारे में भी बताया जाता है जिन्होंने आगे पाणिनी के कार्य पर शोध किया और उसकी व्याख्या की: इनमें शामिल हैं:
• पिंगला—छन्दशास्त्र के रचयिता, जो संस्कृत पद्यों की रचना के लिए एक रूपरेख है, जिसमें द्विआधारी प्रणाली और साहचर्य (फ़िबोनाकी श्रृंखला) का पहला ज्ञात उदाहरण मिलता है।
• कात्यायन—वर्तिकाकार के रचयिता, जो पाणिनी के कार्य की व्याख्या है और क्षेत्रमित और अन्य ज्यमितीय सिद्धान्तों का आधार है।
• पतंजलि—योग सूत्रों और महाभाष्य, जो पाणिनी के अष्टाध्यायी की व्याख्या है, के रचयिता
मैं इस कार्य के लिए प्रस्तुति करने वाली टीम की प्रशंसा करती हूँ। यह सरल, लेकिन विस्तृत वर्णन और साथ ही दृश्य दर्शकों को आसानी से यह समझने में मदद करते हैं कि कैसे संस्कृत की आश्चर्यजनक वैयाकरणिक संरचना गणित, कम्प्यूटर विज्ञान और तकनीक के क्षेत्रों से सम्बन्ध रखता है। “संस्कृत की अनकही कहानी” को यहाँ देखा जा सकता है: youtu.be/eQqJkm_q93k
रत्नवती शिवलिंगम –चन्द्रसेगरन मलेशिया में रहने वाली एक माँ और उद्यमी हैं जो कहानी सुनाने, प्रस्तुति के कौशल और रचनात्मक लेखन के जरिये बच्चों का आत्मविश्वास निर्मित करती हैं। उनसे यहाँ सम्पर्क किया जा सकता है: ratnavathys@yahoo.com.